Woh paas hi na aaye toh izhaar kya karte,
Khud bane nishana toh shikar kya karte,
Marne par bhi khuli rahi hamari aankhein,
Issey zyada kisi ka intezar kya karte.
वह पास ही ना आये तो इज़हार क्या करते,
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते,
मरने पर à¤ी खुली रही हमारी आँखें,
इससे ज़्यादा किसी का इंतज़ार क्या करते
Thanks for your feedback